सरोजिनी महिषी वाक्य
उच्चारण: [ serojini mhisi ]
उदाहरण वाक्य
- डॉ सरोजिनी महिषी भारतीय विदुषी हैं।
- कर्नाटक की हिंदीसेवी सरोजिनी महिषी 1962 में संसद में आईं तो उन्होंने हिंदी सिखाने का कार्यक्रम शुरू किया।
- कर्नाटक की हिंदीसेवी सरोजिनी महिषी 1962 में संसद में आईं तो उन्होंने हिंदी सिखाने का कार्यक्रम शुरू किया।
- सरोजिनी महिषी जवाहर लाल नेहरू व इंदिरा गांधी के कार्यकाल में कर्नाटक के धारबाड़ जिले से 1962, 1967, 1971 व 1977 तक लोकसभा से सांसद रहीं।
- संसदीय हिन्दी परिषद् की अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ 0 सरोजिनी महिषी ने अपने संबोधन में उपस्थित विद्वानों और साहित्यकारों का स्वागे करते हुए संसद में राजभाषा से जुड़े गौरवशाली प्रसंगों को याद किया।
- इस महत्त्वपूर्ण समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं शिक्षाविद डॉ॰ सरोजिनी महिषी, वरिष्ठ नृतत्वशास्त्री पद्मश्री डॉ॰ श्यामसिंह शशि, लोकसभा टी॰ वी॰ के वरिष्ठ अधिकारी डॉ॰ ज्ञानेन्द्र पांडे, संस्था के संयोजक श्री उमाशंकर मिश्र आदि सहित पंद्रह से अधिक राज्यों के भारतीय भाषा प्रेमी एवं संस्कृतिकर्मी उपस्थित थे।
- इसके फलस्वरूप भारतीय भाषाओं के प्रति श्रद्धा तथा भक्ति ही नहीं बल्कि पूर्ण आस्था रखने वाले महाजन सर्वश्री घनश्याम गुप्त, आर. आर. दिवाकर, डॉ. हरेकृष्ण, मेहताब, हरिश्चंद्र माथुर, डॉ. रामसुमन सिंह, डॉ. सरोजिनी महिषी, डॉ. जयसुखलाल हाथी, श्री गंगाशरण सिंह आदि दिग्गजों का शुभाशिर्वाद प्राप्त हुआ।
- १ ९ ६ ३ में अमरावती में एक सर्वभाषा समागम सभा हुई थी, जिसमें प्रो. हुमायंु कबीर, राजा महेन्द्रप्रताप, पी. वी. नरसिंहराव, डॉ. सरोजिनी महिषी, डॉ. रमण एलेडम, सी. एस. कानवी आदि विद्वान एकत्रित हुए थे और इस समागम में भारतीय भाषाओं के माध्यम से राष्ट्रीय एकता बलवती करने पर विचार हुआ था।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सरोजिनी महिषी ने सभी गणमान्य अतिथियों व श्रोतागण का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी भाषा विश्व की सभी भाषाओँ के समकक्ष हो कर निरंतर गतिशील रही है तथा मानव सभ्यता की प्रगति में उसका प्राचीन काल से ही सशक्त योगदान रहा है. डॉ. सरोजिनी महिषी राजनीतिक जीवन में लगभग 25 वर्ष लोकसभा व राज्यसभा की सदस्या रही तथा पर्यटन व नागरिक उड्डयन, परमाणु ऊर्जा व विधि मंत्रालयों के अतिरिक्त उन्होंने प्रधान मंत्री कार्यालय में ‘ पब्लिक रिलेशंस ' का कार्यभार भी संभाला.
- पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सरोजिनी महिषी ने सभी गणमान्य अतिथियों व श्रोतागण का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी भाषा विश्व की सभी भाषाओँ के समकक्ष हो कर निरंतर गतिशील रही है तथा मानव सभ्यता की प्रगति में उसका प्राचीन काल से ही सशक्त योगदान रहा है. डॉ. सरोजिनी महिषी राजनीतिक जीवन में लगभग 25 वर्ष लोकसभा व राज्यसभा की सदस्या रही तथा पर्यटन व नागरिक उड्डयन, परमाणु ऊर्जा व विधि मंत्रालयों के अतिरिक्त उन्होंने प्रधान मंत्री कार्यालय में ‘ पब्लिक रिलेशंस ' का कार्यभार भी संभाला.
अधिक: आगे